मैं जब स्कूल में था...तो बहुत जायदा बोलने में समस्या होती थी ...क्लास में जब TEACHER खड़े होकर
कुछ पड़ने के लिए कहते थे तो प्राण सूख जाते थे..मजबूरी में कई बार रुक-रुक कर पढ़ पाता था
कभी कोई कुछ पड़ने के लिए कह दे तो बहुत दिक्कत हो जाती थी ...मुझे याद है जब किसी के यहाँ रामायण का पाठ होता तो मैं कभी अकेले नहीं पड़ता था .. लेकिन धीरे धीरे कोसिस की..आत्मविश्वास बढाया
तो पड़ने का अभ्यास होने लगा...लेकिन बोलने में अबभी दिक्कत थी
तभी मेरा रुझान थोडा अध्यातम की ओर हुआ ..और प्राणायाम और ध्यान के बारे में जानकारी हुई
में आज यह कह सकता हूँ प्राणायाम से हकलाने वाले के लिए बहुत फायदा है ..इसके बहुत सारे फायदे हैं
ये हमारे सांस को नियंत्रित करता है जिसका बोलने में बहुत बड़ा ROLE है ..इसके साथ हमे गहरी सांस लेने की
आदत पड़ती है जो बोले की प्रक्रिया को आसन करती है..और दिमाग के विशेष हिस्से में प्राण पहुचने से
आत्मविश्वास बढता है ...मैंने इसका अभ्यास दो वर्ष तक किया ...और ज्यादातर शब्दों को ठीक से बोल पाता हूँ ...अब काफी सुधार है ..
Friday, March 18, 2011
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CONGRATULATES FOR THIS EFFORTS & WE HOPE THAT
ReplyDeleteYOU WILL CONTINUE ENCOURAGES TO ALL.
thanks pradeep....we will continue to work together
ReplyDeletenice niraj...i got you very late.
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